“2025 में चैती छठ महापर्व: जानें तिथियां, पूजा विधि और महत्व”


चैती छठ, सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित एक प्रमुख त्योहार है, जो चैत्र माह (मार्च-अप्रैल) में मनाया जाता है। यह त्योहार विशेष रूप से बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में उत्साह के साथ मनाया जाता है, जहां भक्त कठोर व्रत और रीति-रिवाजों का पालन करते हैं।

दिन-दर दिन कार्यक्रम

**1 अप्रैल 2025 (नहाय-खाय)**: सुबह स्नान और विशेष भोजन, सूर्योदय के समय (5:40 AM, पटना में)।

**2 अप्रैल 2025 (खरना)**: दिनभर निर्जला व्रत, सूर्यास्त के बाद (6:06 PM) भोजन।

**3 अप्रैल 2025 (संध्या अर्घ्य)**: डूबते सूर्य को अर्घ्य, शाम 6:06 PM पर।

**4 अप्रैल 2025 (उषा अर्घ्य)**: उगते सूर्य को अर्घ्य, सुबह 5:37 AM पर, व्रत का समापन।

यह त्योहार न केवल आध्यात्मिक बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी समृद्ध है, जहां परिवार एक साथ आकर खुशियां मनाते हैं।


त्योहार का पृष्ठभूमि और महत्व
चैती छठ, जिसे छोटा छठ या चैत्र छठ भी कहा जाता है, हिंदू कैलेंडर के चैत्र माह में मनाया जाता है, जो होली के कुछ दिन बाद पड़ता है। यह त्योहार चार दिनों तक चलता है और सूर्य देव की कृपा प्राप्त करने के लिए भक्त कठोर व्रत रखते हैं, जिसमें 36 घंटे का निर्जला व्रत भी शामिल है। यह त्योहार विशेष रूप से बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है, जहां नदी किनारे भक्त इकट्ठा होकर अर्घ्य अर्पित करते हैं।

दिन-दर-दिन विस्तार

1. **

    नहाय-खाय (1 अप्रैल 2025

)**
– यह त्योहार की शुरुआत है, जहां भक्त सुबह जल्दी स्नान करते हैं, आमतौर पर सूर्योदय के समय। पटना में, सूर्योदय 5:40 AM के आसपास होगा।
– इसके बाद, एक विशेष भोजन तैयार किया जाता है, जिसमें कद्दू और चावल (कद्दू भात) शामिल होता है, जो मिट्टी के बर्तन में पकाया जाता है। यह भोजन दिन में केवल एक बार लिया जाता है।

2. **

    खरना (2 अप्रैल 2025)

**
– इस दिन भक्त सूर्योदय से सूर्यास्त तक निर्जला व्रत रखते हैं। सूर्यास्त पटना में शाम 6:06 PM के आसपास होगा।
– सूर्यास्त के बाद, भक्त सूर्य देव को भोग लगाते हैं, जिसमें खीर, रोटी और अन्य मिष्टान्न शामिल होते हैं। इसके बाद, परिवार के सदस्य इस प्रसाद को ग्रहण करते हैं। यह दिन व्रत तोड़ने का पहला मौका है, लेकिन अगले 36 घंटे के लिए फिर से निर्जला व्रत शुरू हो जाता है।

3. **संध्या अर्घ्य (3 अप्रैल 2025)**
– तीसरे दिन, भक्त नदी या तालाब के किनारे इकट्ठा होते हैं और डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं। यह रस्म शाम 6:06 PM (पटना में सूर्यास्त का समय) पर की जाती है।
– इस दौरान, भक्त फूल, फल और अन्य प्रसाद के साथ सूर्य देव की पूजा करते हैं, और परिवार की समृद्धि और स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करते हैं।

4. **उषा अर्घ्य (4 अप्रैल 2025)**
– त्योहार का अंतिम दिन उषा अर्घ्य के साथ होता है, जहां भक्त उगते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं। पटना में सूर्योदय सुबह 5:37 AM के आसपास होगा।
– इसके बाद, भक्त अपना 36 घंटे का निर्जला व्रत तोड़ते हैं और परिवार के साथ प्रसाद बांटकर खुशियां मनाते हैं। यह दिन नई शुरुआत और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।

#### समय और स्थान की जानकारी
उपरोक्त समय पटना, भारत के लिए सूर्योदय और सूर्यास्त के आधार पर दिए गए हैं। विभिन्न स्थानों पर समय में मामूली अंतर हो सकता है, इसलिए स्थानीय पंचांग या ऑनलाइन उपकरण जैसे [General Blue](https://www.generalblue.com/sunrise-sunset-in-patna-bihar-india) का उपयोग करके अपने क्षेत्र के लिए सटीक समय की पुष्टि करें।
यह रही बिहार में मनाए जाने वाले प्रसिद्ध त्योहार महा छठ की कहानी, जो हर वर्ष हजारों लोगों के ह्रदय को छूती है:

**छठ महापर्व की शुरुआत**
छठ पूजा बिहार का सबसे पवित्र त्योहार है, जिसे बड़े ही श्रद्धा और उमंग के साथ मनाया जाता है। यह सूर्य देव और छठी मईया की उपासना का पर्व है। इसकी शुरुआत कार्तिक मास की षष्ठी तिथि से होती है और चार दिन तक चलता है। छठ पूजा में व्रती (पूजाकर्ता) उपवास रखते हैं और बिना पानी पिए कठोर नियमों का पालन करते हैं।

**सूर्य की पूजा का महत्व**
इस त्योहार में उगते और डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। सूर्य को ऊर्जा और जीवन का स्रोत माना जाता है और छठ पूजा में उनकी उपासना से जीवन में सुख, समृद्धि, और स्वास्थ्य का आशीर्वाद माना जाता है।

**कहानी से जुड़ी मान्यता**
मान्यता है कि महाभारत काल में सूर्य पुत्र कर्ण ने छठ पूजा की शुरुआत की थी। सूर्य भगवान से उनकी कृपा पाने के लिए यह पूजा की जाती थी। कुछ लोग मानते हैं कि छठी मईया, जोकि प्रकृति की देवी हैं, वे बच्चों की रक्षा करती हैं और परिवार को समृद्धि प्रदान करती हैं।

**पूजा की विशेषता**
इस पर्व का मुख्य आकर्षण गंगा नदी या किसी जलाशय के किनारे व्रती द्वारा पूजा करना है। वे सूर्य को अर्घ्य देते हुए संतान की भलाई, सुख और स्वास्थ्य की कामना करते हैं। छठ पूजा में इस्तेमाल किए जाने वाले प्रसाद जैसे ठेकुआ, कद्दू का भात, और नारियल बड़े ही पवित्र तरीके से बनाए जाते हैं।

**लोकप्रियता और सामूहिकता**
छठ पूजा सिर्फ बिहार ही नहीं, बल्कि पूरे भारत और विदेशों में भी लोकप्रिय है। यह पर्व सामूहिकता का प्रतीक है, जहां हर कोई एक-दूसरे की मदद करता है और मिल-जुलकर इस त्योहार का आनंद लेता है।

#### तैयारी और सुझाव
– **व्रत और उपवास**: व्रत रखने वाले भक्तों को शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार रहना चाहिए। निर्जला व्रत के दौरान हाइड्रेटेड रहने और छोटे-छोटे भोजन की व्यवस्था करना महत्वपूर्ण है।
– **पूजा सामग्री**: घर पर पूजा के लिए फूल, मिष्टान्न, थेकुआ (पारंपरिक मिष्टान्न), और अन्य आवश्यक चीजें तैयार रखें।
– **नदी किनारे की यात्रा**: अगर आप नदी किनारे जा रहे हैं, तो सुरक्षा का ध्यान रखें और स्थानीय नियमों का पालन करें।

#### सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व
चैती छठ न केवल एक धार्मिक त्योहार है, बल्कि यह सांस्कृतिक विरासत का भी प्रतीक है। यह त्योहार परिवारों को एकजुट करता है और समुदाय के बीच भाईचारे को बढ़ावा देता है। भक्त इस दौरान सूर्य देव से स्वास्थ्य, समृद्धि और परिवार की खुशी के लिए प्रार्थना करते हैं।

#### अप्रत्याशित तथ्य
हालांकि अधिकांश लोग कार्तिक छठ (अक्टूबर-नवंबर) के बारे में जानते हैं, चैती छठ उतना ही महत्वपूर्ण है, लेकिन कम चर्चित है। यह त्योहार होली के बाद मनाया जाता है और यमुना छठ के रूप में भी जाना जाता है, जो देवी यमुना की जयंती से जुड़ा है।

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